Friday, September 4, 2009

कैसा ये रिश्ता है ?

ख्वाब और हकीकत में
इश्क और नजाकत में
दिल और दिमाग में
कागज और किताब में
फूल  और खुशबु में
दिल की दुकदुक में
एक अजब सा रिश्ता है
एक के बिना दूसरा अधुरा है
एक चाहत है दूसरा रोकता है
एक बढ़ता है दूसरा एक झुकता है
एक ख्याब हकीकत बनना चाहता है
क्यों इश्क में नजाकत होती है
क्यों दिल पर दिमाग हावी है
क्यों कागज
बिन किताब बेभास्वी है
क्यों फूल  ही खुशबु देता है
महबूब के छूते ही
क्यों दिल धुकधुक  करता है
कैसा ये रिश्ता है ?
बोल ए दिल बोल ?
कैसा ये रिश्ता है ?


1 comment:

Kuldeep Kumar Mishra said...

फ्हुल और खुसबू में
दिल की दुकदुक में
एक अजब सा रिश्ता है
एक के बिना दूसरा अधुरा है
bhai sahab aapko apni bhasha me shudhar ki ati aavshyakta hai
dhanyavaad