Monday, August 1, 2011

ओंकारेश्वर मंदिर में शिव-पार्वती के लिए रोज बिछती चौसर

सावन् मास में भगवान् शिव की पूजा अर्चना करने  के लिये यहाँ लोग दूर दूर से आते है बाबा भोलेनाथ के दर्सनो के लिए ओंकारेश्वर में ...
खण्डवा। नर्मदा नदी के तट पर स्थित देश के प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक ओंकारेश्वर में हर रोज चौसर बिछती है। इसमें आम आदमी नहीं बल्कि शिव और पार्वती पासे फेंकते हैं।

मान्यता है कि ओंकारेश्वर क्षेत्र के नरेश मंधाता, शिव भक्त थे। उनकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी खुद यहां प्रकट हुए थे। यह भी माना जाता है कि शिव और पार्वती चौसर के शौकीन हैं तथा नियमित रूप से ओंकारेश्वर चौसर खेलने आते हैं। इसी के चलते रोज शयन आरती के बाद यहां चौसर सजाई जाती है और कपाट बन्द कर दिए जाते हैं।

मंदिर के पुजारी सत्यनारायण बताते हैं कि मंदिर में दो चौसर बिछाई जाती है। एक जमीन में तथा दूसरी झूले पर। जमीन में जहां चौसर के दोनों ओर मसनद (गोल तकिया) रखे जाते हैं, वहीं झूले को भी आरामदेह बनाया जाता है



वर्षों से चली आ रही है परंपरा
मंदिर के पुजारी का कहना है कि शयन आरती के बाद चौसर बिछाने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। वे एक किवंदती की चर्चा करते हुए बताते हैं कि एक बार शिव और पार्वती चौसर खेलने यहां आए। तब पार्वती ने पुजारी से पूछा कि आज कौन जीतेगा, तो पुजारी का जवाब था कि शिवजी जीतेंगे। पुजारी की बात गलत निकली और पार्वती जीत गईं।

इस पर पार्वती ने पुजारी पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए श्राप दे दिया। मंदिर में एक शिला रखी है, जिसे उस दौर का पुजारी बताया जाता है। शिव और पार्वती के चौसर खेलने का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। ओंकारेश्वर देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिव और पार्वती के लिए नियमित रूप से चौसर बिछाई जाती है।

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